आपदा प्रबंधन विश्व स्तरीय सम्मेलन में चला मंथन अमृत पहुंचेगा विश्व में: राज्यपाल

0

देहरादून: छठी वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट महासम्मेलन का शुक्रवार को समापन हो गया हैI समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने प्रतिभाग कियाI राज्यपाल ने इस मौके पर वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों समेत सम्मेलन में मौजूद प्रतिभागियों को सम्बोधित भी कियाI

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि करीब 70 देशो से उमड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अपने अनुभवों एवं सुझावों से इस महासम्मेलन को विश्व भर के लिए के यादगार बना दिया। इस महासम्मेलन से निकलने वाले अमृत का लाभ आपदाओं से त्रस्त दुनिया के देशों को निश्चित रूप से होगा I

उन्होंने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पटल पर आपदा प्रबंधन एवं प्राकृतिक आपदाओं से जूझने एवं उनका सामना करने के लिए मुख्य रूप से आयोजित किए गए इस महासम्मेलन में जिस तरह देश विदेश के 70 से ज्यादा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने आपदाओं से होने वाली क्षति को रोकने के लिए मंथन किया है, उससे निश्चित रूप से विश्व के सभी देशों को लाभ होगा।

राज्यपाल ने कहा कि इस मंथन से प्राप्त अमृत सभी देशों में जाएगा, इससे विभिन्न तरह की आपदाओं का सामना वे अधिक दक्षता से कर सकेंगे। समूचे विश्व में समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। उत्तराखंड राज्य में ऐसी आपदाएं समय-समय पर आ चुकी हैं और बड़ी चुनौतियां खड़ी कर देती हैं, लेकिन इन्हें चेतावनी के रूप में स्वीकार करते हुए सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी और केदारनाथ में जहां वर्ष 2012 और 2013 की प्राकृतिक आपदाओं ने भारी क्षति पहुंचाई थी, वहीं कई अन्य घटनाओं ने समस्याओं को हमारे सामने चुनौतियों के रूप में समय-समय पर खड़ा किया है। ऐसी चुनौतियों का का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिएI

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपदा के मामलों में प्रधानमंत्री मोदी ने त्वरित गति से कार्य किए हैं जिससे पीड़ित के दुख दर्द कम करना संभव हुआ है। राज्यपाल ने जी-20 सम्मेलनों का भी जिक्र किया और उसके लिए केंद्र सरकार के कदमों की सराहना की I हाल ही में सिलक्यारा सुरंग के हादसे में भी प्रधानमंत्री और उत्तराखंड की सरकार द्वारा तत्काल राहत बचाव के कार्य किए गए और आखिरकार उसमें 17 दिन बाद कामयाबी मिल पाई I इस अवसर पर अंडमान निकोबार के राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी ने सम्मेलन में 70 देश के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के मंथन को पूरी तरह से सफल बताते हुए कहा कि आपदाओं को हम कम तो नहीं कर सकते लेकिन उनका सामना करने की रणनीति अपनाकर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और आपदाओं को ज्यादा फैलने से रोका जा सकता हैI

राज्यपाल ने कहा कि छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का मूल उद्देश्य हिमालययी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु व आपदा प्रबंधन की चुनौतियों पर चर्चा करके समाधान सुझाना है। इससे उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय शोध व समाधान केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बल मिलेगा। आठ दिसंबर से दून में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले यह आयोजन विदेश में ‘सुरक्षित निवेश, सुदृढ़ उत्तराखंड’ की धारणा को पुष्ट करेगा।

कार्यक्रम में केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा कवच के रूप में त्वरित उपाय समय-समय पर किए गए हैं जिसके लिए केंद्र सरकार निश्चित रूप से बधाई की पात्र है I उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यदि रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता भूकंप अथवा आपदा आती है, तो उससे अब पहले की तरह बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा क्योंकि सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़कर सुरक्षात्मक कार्यों को किया है।

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि बदलते परिवेश में हम आज भारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, 40 वर्ष पूर्व जहां बर्फीली पहाड़ियों थी, आज वे पहाड़ियां अधिकतर बिना बर्फ वाली बन गई है, जो कि हमारे सामने बड़ी चुनौती एवं समस्या है I उन्होंने कहा कि अब जो खतरनाक आपदा संबंधित परिस्थितियों आने वाली हैं। उसके लिए हमें तैयार रहना होगा I भविष्य के मौसम को समझ कर हम सभी को सावधानियां बरतनी होंगी I उन्होंने यह भी कहा कि ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में जो महासम्मेलन हुआ है, उसके निष्कर्ष को विदेशों में पहुंचना है और यही हमारे लिए बड़ी सफलता होगी I

महासम्मेलन में राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड की सरकार ने राज्य में आने वाली आपदाओं का सामना जीरो ग्राउंड पर रहकर किया है, यह बहुत सराहनीय है I इसके अलावा उत्तराखंड राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत और कार्यक्रम के संयोजक आनंद बाबू ने भी इस अपने विचार व्यक्त किए Iइससे पहले समारोह के चौथे दिन आज देश-विदेश से आए वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने विभिन्न आपदाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता को जागरुक करके सहयोग लेने पर विशेष बल दिया I

प्रो. उन्नत पी.पंडित (पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेड मार्क महानियंत्रक) ने जल सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य सीमा पार जल संसाधनों के टिकाऊ और न्यायसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है। यह दो या दो से अधिक देशों द्वारा साझा किए जाने वाले जलस्रोतों के सहयोग, प्रबंधन और सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कैसे देश पानी के उचित और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आते हैं। सतत विकास, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देने वाले जल सहयोग का एक कानूनी और संस्थागत ढांचा, सयुक्त राष्ट्र की छत्रछाया में दुनिया भर में जल उपयोग सहयोग की प्रगति पर चर्चा करने के लिए एक अनूठा मंच सभी इच्छुक देशों के लिए खुला है, 130 से अधिक देशों ने सहयोग में शीघ्र प्रगति के लिए अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान किया | उन्होंने दुनिया भर में कुल ताजे पानी की प्रति घन मीटर जीडीपी के बारे में भी बताया कि अफगानिस्तान 1%, बांग्लादेश 7%, भूटान 7%, भारत 4%, मालदीव 768%, नेपाल 3%, पाकिस्तान 2%, श्रीलंका 7% के हैं i

पैनलिस्ट डॉ.एलशान अहमदोव (अज़रबैजान राज्य अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र विभाग, अज़रबैजान) ने कहा कि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से हम सभी को लड़ना होगा और उनका सामना भी करने के लिए सभी को तैयार रहना चाहिए I

प्रो.तात्सुया इशिकावा (इंजीनियरिंग संकाय, होक्काइडो विश्वविद्यालय, जापान) ने वर्षा-प्रेरित ढलान विफलताओं और जलवायु परिवर्तन के तहत भविष्य के कार्यों के लिए जापानी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के बारे में बताया। उन्होंने उत्तराखंड, केरल समेत दुनिया के कई देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि हाल के जलवायु परिवर्तनों के कारण अभूतपूर्व वर्षा और भू-आपदा के संभावित जोखिमों पर लगातार विभिन्न स्तरों पर अध्ययन करना आवश्यक है। पृथ्वी संरचना के लिए पारंपरिक डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पद्धति को उन्नत करें इसके अलावा, जल्द से जल्द एक ढांचा स्थापित करना आवश्यक है, जिससे उद्योग, सरकार और शिक्षा जगत समेत पूरे समाज जोड़ा जाये।

वहीं देश-विदेश से सम्मेलन में प्रतिभाग करने आए सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डॉ कमल घनसाला ने आभार व्यक्त किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.