मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना को शिक्षा में मदद करेगा भारत
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। नई शिक्षा नीति के प्रावधान शिक्षा के वैश्वीकरण पर जोर देते हैं, इसका असर यह है कि अब भारत में अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। इसी के अंतर्गत ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद और वाइस चांसलर इसी हफ्ते भारत सरकार एवं शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। दूसरी ओर शिक्षा मंत्रालय ने मॉरीशस को अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के ज्ञान और कौशल केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए मॉरीशस के साथ काम करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को नई दिल्ली में मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के शिक्षा मंत्री हो के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
मॉरीशस की उप-प्रधानमन्त्री और तृतीयक शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री महामहिम लीला देवी डुकुन- लचुमुन के साथ बैठक के दौरान, प्रधान ने कहा कि भारत और मॉरीशस एक विशेष संबंध साझा करते हैं। भारत और मॉरीशिस इतिहास, संस्कृति, भाषा और भारत हिन्द महासागर के माध्यम से एकजुट हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और सु²ढ़ करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत मॉरीशस के साथ मिलकर काम करने और शिक्षा और कौशल विकास के सभी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधान ने कहा कि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के ज्ञान और कौशल केंद्र के रूप में इसे स्थापित करने के लिए मॉरीशस के साथ काम करना भारत के लिए सौभाग्य की बात होगी। दोनों देश ज्ञान के क्षेत्र में अपने संबंधों को और गहरा करने और द्विपक्षीय साझेदारी को और अधिक जीवंत बनाने के लिए समग्र रूप से काम करने पर भी सहमत हुए।
अफ्रीकी देश जांजीबार की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्री, लीला मुहम्मद मूसा के साथ बैठक के दौरान, शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आईआईटी परियोजना के साथ तंजानिया की सहायता करके प्रसन्न है। तंजानिया में आईआईटी अफ्रीका में प्रौद्योगिकी शिक्षा का केंद्र बन सकता है। उन्होंने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक समर्थन को सामने रखा और जांजीबार में 21वीं सदी के कौशल केंद्र की स्थापना के लिए भारत की इच्छा को भी साझा किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भारत में शिक्षा के नए मार्ग बना रही है। प्रधान ने तंजानिया और अफ्रीकी छात्रों को भारत में अध्ययन के लिए आमंत्रित किया।
इसके अलावा शिक्षा मंत्री प्रधान ने अपने कार्यालय में जिम्बाब्वे के उच्च और तृतीयक शिक्षा, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास मंत्रालय में उप मंत्री रेमोर माचिंगुरा के साथ बैठक की। उन्होंने शिक्षा और कौशल विकास में दोनों देशों के बीच भागीदारी को और बढाने पर उपयोगी चर्चा की। भारत और अफ्रीका दोनों की साझा आकांक्षाएं और पारस्परिक प्राथमिकताएं हैं। प्रधान ने शिक्षा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक संयुक्त कार्य समूह गठित करने का सुझाव दिया।
धर्मेंद्र प्रधान ने घाना के उप शिक्षा मंत्री जॉन एनटिम फोर्डजौर के साथ अपनी बैठक के दौरान, आपसी प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए स्कूल से लेकर अनुसंधान शिक्षा तक भारत और घाना के बीच संस्थागत तंत्र तथा संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना का प्रस्ताव रखा। महामहिम श्री जॉन ने इस विचार के प्रति अपनी सहमति व्यक्त की और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
गौरतलब है कि मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के मंत्री यहां अभी चल रहे यूनेस्को इंडिया अफ्रीका हैकथॉन में भाग लेने के लिए आए हुए हैं। एआईएसएचई डेटा (2019-20) के अनुसार, कुल 11083 अफ्रीकी छात्र भारत में अध्ययन कर रहे हैं।
–आईएएनएस
जीसीबी/एएनएम