असम बाढ़ : अमित शाह ने दिया हर संभव मदद का भरोसा, सेना बचाव अभियान में शामिल
गुवाहाटी, 18 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से फोन पर बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की और केंद्र की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
गृहमंत्री ने अंग्रेजी और असमिया में अलग-अलग ट्वीट में कहा : असम के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के मद्देनजर स्थिति को लेकर चिंतित हूं। स्थिति का जायजा लेने के लिए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से बात की। एनडीआरएफ की टीमें पहले से ही तैनात हैं। केंद्र सरकार से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
रक्षा प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल अंगोम बोबिन सिंह ने मंगलवार रात को कहा कि कछार के उपायुक्त कीर्ति जल्ली से तत्काल अनुरोध प्राप्त होने पर जिले के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ बचाव कार्यो के लिए मासीमपुर गैरीसन के सेना और असम राइफल्स के दो जवान रवाना हुए।
प्रवक्ता ने कहा, दोनों टीमों द्वारा बाढ़ में फंसे कीमती जीवन को बचाने के लिए एक त्वरित और समन्वित कार्रवाई की गई। महिलाओं, बुजुर्गो और छोटे बच्चों को प्राथमिकता दी गई। समय पर और त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप लोगों की जान बच गई और एक बड़ी आपदा टल गई।
असम राइफल्स की श्रीकोना बटालियन के दोनों पक्षों और सेना के जवानों ने करीब 500 ग्रामीणों को बचाया। उन्होंने कहा कि देर शाम तक बचाव के प्रयास जारी थे और उपायुक्त और स्थानीय लोगों ने सेना और असम राइफल्स की सेवा की सराहना की।
मानसून-पूर्व बाढ़ में अकेले कछार जिले में 24,965 बच्चों और 32,827 महिलाओं सहित लगभग एक लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
उदलगुरी जिले में एक और व्यक्ति की मौत के साथ असम में मानसून-पूर्व बाढ़ और भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई। अब तक 26 जिलों में चार लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अधिकारियों ने कहा कि पिछले 24 घंटों में पश्चिमी असम के उदलगुरी जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि इससे पहले दीमा हसाओ और लखीमपुर जिलों में बाढ़ और भूस्खलन में सात लोगों की मौत हो गई।
एएसडीएमए के एक बुलेटिन में कहा गया है कि 80,659 बच्चों और 1,39,541 महिलाओं सहित कम से कम 4,03,352 लोग प्रभावित हुए हैं और 26 जिलों के 1,089 गांवों में लगभग 1,900 घर आंशिक रूप से और पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 39,558 से अधिक लोगों ने 89 राहत शिविरों में शरण ली है।
–आईएएनएस
एसजीके