आईएएनएस-सीवोटर : अधिकतर भारतीय पेड़ों की कटाई को पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं
नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)। हाल के दिनों में वायु और ध्वनि प्रदूषण पर मीडिया ने ध्यान दिया है। इसे देखते हुए यह उम्मीद की गई थी कि अधिकांश भारतीय उन्हें सबसे गंभीर पर्यावरणीय चिंताओं के रूप में बताएंगे।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आईएएनएस की ओर से सीवोटर द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण से पता चलता है कि पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के बारे में आम भारतीय क्या महसूस करते हैं। दुनिया 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाती है।
विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और जातीय पृष्ठभूमि से संबंधित 1,200 से अधिक उत्तरदाताओं से विशिष्ट प्रश्नों को लेकर एक प्रश्न पूछा गया था। उत्तरदाताओं को सात कारकों की पेशकश की गई, जिन्हें पर्यावरणीय क्षति के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार के रूप में पहचाना जा सकता है।
43 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को सबसे गंभीर खतरे के रूप में बताया। वहीं 12 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने गंदी नदियों को गंभीर समस्या बताया।
उदाहरण के लिए, जहां शहरी भारत में रहने वाले 46.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को सबसे गंभीर खतरा बताया, वहीं ग्रामीण भारत में रहने वाले 41.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने भी ऐसा ही महसूस किया। इसी तरह, लगभग 45 प्रतिशत विपक्षी पार्टी के लोगों की राय थी कि पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे गंभीर खतरा है, एनडीए के लगभग 40 प्रतिशत समर्थकों ने समान विचार साझा किया।
हाल के दिनों में, वायु और ध्वनि प्रदूषण ने देश में बहुत ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन, 11 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दावा किया कि वायु प्रदूषण सबसे बड़ा खतरा है, वहीं 4 प्रतिशत ने महसूस किया कि ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर खतरा है। अवैध खनन और रसायनों, उर्वरकों और प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग को भी आम भारतीयों ने बहुत गंभीर खतरों के रूप में नहीं आंका।
–आईएएनएस
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